क्या जरूरी है
मैं अच्छा लिखता हूं कभी कभी मैं बुरा लिखता हूं कभी कभी मैं लिखता हूँ फिर सोचता हूँ कि जरूरी क्या है लिखना लिखना जरूरी है लिखता हूँ तो मन उधड़ता है थोड़ा कुछ गांठे सी है जो खुल जाती है जब ये तनाव कम होता है तो अच्छा लगता है विचार जो दिमाग मे कौंधते रहते हैं आ जाते है सामने पन्ने पर अब कचोटना थोड़ा इनका कम होता है तो जरूरी क्या है ये कलम ये पन्ना शायद ये ही है जो जरूरी है उमर ज्यादा है नही पर लगता हैं जीवन ज्यादा हो गया कुछ प्रेम ज्यादा हो गया कुछ सबक ज्यादा हो गया कुछ अपराध भी हुए तो कुछ जुल्म भी सहे अब सोचता हूँ किसे बताऊं ये महकमा भी बड़ा ज्यादा हो गया लोगों को समझाऊं तो समझाने लगते हैं कुछ तो मिलने से पहले ही घबराने लगते है अकेले में जब बैठता हूँ तब इस जद्दोजेहद से लड़ता हुँ और सोचता हूं क्या जरूरी है लिखना लिखना जरूरी है... लिखता हूँ तो अपने मन से दो चार हो पाता हूँ लिखता हूँ तो समझ पाता हूँ कि जीवन मे जरूरी कुछ न है न ये लोग जरूरी है ना ही ये महफिले जरूरी है न ही जरूरी है ये वहम कि नही चल सकती ये दुनिया मेरे बि...