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मै तो इक अलफ़ाज़ हूँ माँ

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                        ।।माँ ।। याद है मुझे जूतों की डोरियां बांधते वक़्त जब धुप आ गिरती थी मेरे माथे पर, तो सामने आ खड़ी होती थी तू.. कभी रूठकर तुझसे पलंग के नीचे जा छिपता था मै तो हाथो में ममता के निवाले लिए घूमती थी तू.. चोट लगे मेरे हर जख्म पर ममता की फूँक है तू.. क्या लिखूं तेरे बारे में मै तो इक अल्फ़ाज़ हूँ पूरी की पूरी किताब है तू.. याद है मुझे जब मेने तेरी बात नही मानी थी तेरा हाथ छूड़ाके भागा था मैं और साइकिल वाले ने मेरे टक्कर मार दी थी.. हां और वो भी जब पॉपकॉर्न उठाके खाने के चक्कर में उस पॉपकॉर्न वाले ने मेरा हाथ गर्म चिमटे से जला डाला था और फिर तूने उसे झाँसी की रानी बन इतना फटकारा था की फिर वो फिर पॉपकॉर्न बेचना ही भूल गया 😂😂.. सच में दिन भर धुप में खेलते बच्चे की रात की ठंडी बयार है तू.. क्या लिखूं तेरे बारे में मै तो इक अलफ़ाज़ हूँ पूरी की पूरी किताब है तू.. बस ये नही याद है मुझे पर सुना है 6 महीने का था में और बीमार बहोत था.. हर दर मंदिर मस्जिद नीम हकीम लेकर घूमी थी तू मुझे और जब साँसे भारी होने लगी मेरी तो पटक दिया था माता के मंदिर में तू