ज़िन्दगी इतनी भी बुरी नहीं हैं
इंजीनीयर है हम बड़े बदनाम भी है इंजीनियरिंग को छोड़ बाकि सब करवालो अब मुझे ही ले लो साहित्य से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं पर मन है की मानता नही तो कोशिश की है कुछ लिखने की उम्मीद तो यही है पसंद आये और मेरा यकीन करना ये इतनी भी बुरी नहीं है अरे कविता नहीं ज़िन्दगी इतनी भी बुरी नहीं हैं।। ☺️ खिड़की से झांकते चाँद की ओर देखा है कभी आज देखो आज भी रोज की तरह वहीँ उसी जगह से अपनी मुस्कान तुम तक पंहुचा रहा है।। हवा के भी कुछ वैसे ही मिजाज है जैसे हुआ करते हैं।। थोड़ा और देखो तो सितारों ने भी अपने आयाम नही बदले।। तो आप उस बंद कमरे की खिड़की में क्यूँ अपने आप को जकड़े हुए है जनाब।। थोड़ा मुस्कुरालो ज़िंदगी इतनी भी बुरी नही है।। बेग़ैरत सी है ज़िन्दगी, माना हमने हौसले टूटते देखे हमने भी है। माना आफताब रोशन नहीं है तुम्हारी तकदीर का पर देखो तो हाथो मे लकीरे अब भी हैं मुसलसल हैं रास्ते अभी भी बस कदम रखने की ही तो देर है यकीन मानिये पैरो के निशानों से बनी लकीरे हाथो पर उखड़ जाएँगी थोड़े और कदम बढाओ मंज़िले खुद तकदीर लिख जाएँगी तो सोच क्या