ज़िन्दगी इतनी भी बुरी नहीं हैं
इंजीनीयर है हम बड़े बदनाम भी है
इंजीनियरिंग को छोड़ बाकि सब करवालो
अब मुझे ही ले लो साहित्य से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं
पर मन है की मानता नही
तो कोशिश की है कुछ लिखने की उम्मीद तो यही है पसंद आये
और मेरा यकीन करना ये इतनी भी बुरी नहीं है
अरे कविता नहीं
ज़िन्दगी इतनी भी बुरी नहीं हैं।।
☺️
खिड़की से झांकते चाँद की ओर देखा है कभी
आज देखो
आज भी रोज की तरह वहीँ उसी जगह से अपनी मुस्कान तुम तक पंहुचा रहा है।।
हवा के भी कुछ वैसे ही मिजाज है जैसे हुआ करते हैं।।
थोड़ा और देखो तो सितारों ने भी अपने आयाम नही बदले।।
तो आप उस बंद कमरे की खिड़की में क्यूँ अपने आप को जकड़े हुए है जनाब।।
थोड़ा मुस्कुरालो
ज़िंदगी इतनी भी बुरी नही है।।
बेग़ैरत सी है ज़िन्दगी, माना हमने
हौसले टूटते देखे हमने भी है।
माना आफताब रोशन नहीं है तुम्हारी तकदीर का
पर देखो तो हाथो मे लकीरे अब भी हैं
मुसलसल हैं रास्ते अभी भी
बस कदम रखने की ही तो देर है
यकीन मानिये
पैरो के निशानों से बनी लकीरे हाथो पर उखड़ जाएँगी
थोड़े और कदम बढाओ मंज़िले खुद तकदीर लिख जाएँगी
तो सोच क्या रहे हो
बाहर तो निकलो
ज़िन्दगी इतनी भी बुरी नहीं है।।
एकतरफा रिश्तो के खोखलेपन से हैरत में हो
आखिर क्यूं?
यही तो रिवाज है दुनिया का
भला समंदर ने आज तक नदी को कुछ लौटाया है!
उड़ेलते रहो जितनी मोहब्बत है तुममे उस सागर में
यकीन मानो
कायनात भी एक दिन कर्जदार होगी तुम्हारी शिद्दत की
और जिस दिन सागर तुम्हारी दीवानगी से भर जायेगा
तो उडेलने तुम्हारा प्यार फिर तुम पर
भर के वो सैलाब लाएगा
तो अम्मा मियां बैठो मत
चलो बढ़ो आगे
थोड़ी मोहब्बत कर लो
ज़िन्दगी इतनी भी बुरी नहीं है।।
समझदार हो गए हो तो क्या हुआ
मोहल्ले में पानी पुुरी वाला तो आज भी आता ही होगा
सच सच बताओ आखिर कितने अरसे हो गए उस मटका कुल्फी का स्वाद चखे
बचपन में खिलखिलाते नहाते थे तुम, जब बदरा बरसते थे तुम पर
सुना है बारिश तो आज भी होती है वहां
तो क्या अब मन मचलता नहीं तुम्हारा
किन हिसाबो में मशगूल हो साहब
थोड़े बेहिसाब हो जाओ
बेबाक हो जाओ
और बरसे अगर रैना तो बेहिजाब हो जाओ
थोड़ी बेचैनी तो लाओ सीने में
ज़िन्दगी इतनी भी बुरी नहीं है।।
साँसों का मोल भूल गए हो लगता है
मरीजो से भरे अस्पताल आज भी है
जरा कदम बढाके उस इंसान से मिलो जो चन्द साँसों का मोहताज है
दो पल और मिले तो अपनी बेटी को परायी कर देता
कुछ ही पलों में सालो से जो था बाकि, सब कर देता
और कुछ नहीं तो DDLJ एक बार और देख लेता
पर तुम भूल गए हो लगता है
उस के पास न सही पर तुम्हारे पास तो है
वो 'पल' तुम्हारे पास तो हैं
मेरा विश्वास करो तुमने अभी अभी सांस ली है
अरे कहाँ खोये हो जनाब तुमने ही ली है
महसूस करो हर सांस को
जीवन का मोल समझो और जियो
खुश होवो ,जश्न मनाओ, झूमो नाचो जो जी में आये करो सब करो क्योंकि
इन सबके लिए जो चाहिए वो है तुम्हारे पास
'ज़िंदगी'
तो..
अब तो यकीन होगा ही ना तुम्हे
ज़िन्दगी इतनी भी बुरी नहीं है।।
थोड़ा मुस्कुरालो
ज़िन्दगी इतनी भी बुरी नहीं है।।
धन्यवाद
a.
बेहद खूबसूरत दिल रहा होगा जिनका
ReplyDeleteयकीनन उन्हीने ये कविता लिखी है
किस कदर शुक्रिया करे उनका
ये हर रुह को छू चुकी है
Thanks.. ☺️
ReplyDeleteMay i know who is this admirer..☺️
And thank you once again..
🐨
DeleteBear peeping out of the door can't explain the name..
ReplyDelete😉
👌👌👌👌👌
ReplyDeleteThanks..
DeleteHats off to an amazing writer ... None other than bittu bhaiya... !! 😘🙏🙏
ReplyDeleteThanks bitta..
ReplyDeleteMy contents are just a body of these blogs but the blood is these overwhelming admirations so thank u and everyone who admired me..
as a writer is nothing without a reader.. so thank you..😍😘